06-09-07   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘दादी के हाथ में प्रत्यक्षता का पर्दा खोलने का बटन है, इसमें आप सब सहयोगी बनो’’

आज बालक सो मालिक बच्चों के बुलावे पर बापदादा हजूर हाजर हो गये हैं। बापदादा हर बच्चे को अपने सिर का ताज देखते हैं। बापदादा ने देखा आप सबकी प्यारी दादी अपने इच्छा कारण, बहुत प्यार से निरसंकल्प समाधि में वा साधना में रहते हुए स्व-इच्छा से बाप समान तीव्र बेहद की सेवा का अनुभव करने के लिए, साथी, साक्षी और समान स्थिति का अनुभव करने के लिए बाप के साथ वतन में पहुंच गई। साथ-साथ यह भी सभी ने अनुभव किया कि आदि से अन्त तक नि:स्वार्थ प्यार, निर्विकल्प साधना, परिस्थिति और स्तुति दोनों से न्यारी और सर्व की प्यारी जीवन का प्रभाव चारों ओर बिना मेहनत के, बिना कहने के देश विदेश में पवित्र प्यार का वायब्रेशन स्वत: सहज फैल गया। न बुलाते भी सबके दिल में प्यार का रेसपान्ड देने का उमंग-उत्साह स्वत: ही प्रगट हो रहा है। यह है प्रत्यक्ष स्नेही सहयोगी, समान स्थिति का प्रभाव। दादी की जीवन का एक ही संकल्प रहा कि अब जल्दी से जल्दी बाप की प्रत्यक्षता का आवाज फैलायें। तो प्रत्यक्षता, दादी की प्रत्यक्षता द्वारा ईश्वरीय विश्व विद्यालय और बापदादा की प्रत्यक्षता का फर्स्ट चैप्टर, छोटा सा चैप्टर आरम्भ हुआ है। यह कौन है, यह आध्यात्मिक विद्यालय क्या है, सबकी दृष्टि में, मन में, दिल में क्वेश्चन मार्क के रूप में उत्पन्न हुआ है। पहले क्या है, क्या है... यह क्वेश्चन होता, फिर यह है, यह है का उत्तर सामने आयेगा। दादी का एक ही उमंग था कोई नवीनता करें, सेवा का विशाल रूप हो, तो स्वत: ही सहज ही विशाल परिचय का झण्डा लहर रहा है। अब आप सबको प्यार का स्वरूप प्रत्यक्ष रूप में दिखाकर इस प्रत्यक्षता के झण्डे को ऊंचा लहराना है। दादी ने प्रत्यक्षता के झण्डे का, प्रत्यक्षता के पर्दे का स्वीच ऑन करने के लिए बटन हाथ में पकड़ा है, तो आप सब साथी हो ना। बहुत प्यार है ना दादी से, तो जैसे दादी स्व-इच्छा से एवररेडी, नष्टोमोहा बन गई। सभी सामने खड़े थे, फिर भी निर्मोही मूर्त उड़ गई। ऐसे, जैसे दादी ने फॉलो ब्रह्मा बाप किया। अचानक के पार्ट में पास हो गई। यह अन्तिम पाठ का आप स्नेही प्रेमी आत्माओं को भी इशारा देकर गई। अब आप अपने लिए सोचो, जो दादी ने प्रत्यक्षता का पर्दा खोलने का बटन हाथ में उठाया है, उस पार्ट में हमें कैसे सहयोगी बनना है! बटन खोलने में देरी नहीं लगेगी लेकिन प्रत्यक्षता के झण्डे को ऊंचा लहराने वाले प्रत्यक्षता का पर्दा खोलने के पहले विशेष पार्टधारी साथी एवररेडी हैं? अब यह नहीं समझो कि हम सेन्टर निवासी, मधुबन निवासी हद के सेवाधारी हैं, नहीं, लेकिन विश्व की स्टेज के विशेष पार्टधारी हैं। सारे विश्व की नज़र अब दादी की प्रत्यक्षता के साथ आप सबके तरफ है। विश्व की नज़र जो भी ब्रह्माकुमार कुमारी कहलाते हैं, छोटा है, बड़ा है, किसी भी कार्य के अर्थ निमित्त है, चाहे छोटे कार्य के भी निमित्त है लेकिन एक एक के ऊपर, विश्व के आत्माओं की नज़र आपके ऊपर है। समझते हो इतनी जिम्मेवारी हमारे ऊपर है, या बड़ों को देखते हैं? बड़े जानें, इसमें संगठन की शक्ति चाहिए। यह रूहानी किला है। किले की एक एक ईट जिम्मेवार है। ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी मानना अर्थात् इस रूहानी किले की प्रत्यक्षता के निमित्त आत्मायें हो, एक एक किले की ईट जिम्मेवार है। चाहे नीचे की ईट हो, चाहे बीच की हो, चाहे ऊपर की हो, लेकिन एक ईट भी हिलती है तो उसका प्रभाव पड़ता है। तो अभी दादी से तो प्यार है लेकिन दादी का प्यार किससे है! बापदादा ने देखा दादी को अपने प्यार के मूर्त का रिटर्न बेहद प्यार मिला लेकिन अभी दादी का प्यार किस बात में है? दादी कहती है कल की बातें छोड़ो, आज भी नहीं, अब.. प्रत्यक्षता का झण्डा ऊंचा करने वाले ऊंची स्थिति का अपना सम्पन्न स्वरूप दिखाओ। तो जो भी अभी बैठे हैं, तो दादी कह रही थी, आप सभी से पूछना कि मेरे संकल्प को या बाबा के संकल्प को सब पूर्ण करने के लिए कुछ भी परिवर्तन करना पड़े, सहन करना पड़े, रहम की भावना रखनी पड़े, निर्मल वाणी बनानी पड़े, शुभ भावना, शुभ कामना की नेचुरल नेचर बनानी पड़े, तो दादी ने कहा आप पूछना मेरी इस बात को, मेरे समान बनने के लिए तैयार हैं? तो आप बताओ तैयार हैं? ऐसे हाथ नहीं उठाना, दिल का हाथ उठाना। यह बांहों का हाथ कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन निशानी फिर भी यही हाथ उठाना पड़ता है। कुछ भी हो जाए मुझे बदलना है। बदलके बातेंबदली कराना है, यह ऐसा, यह ऐसा, यह करते, यह बोलते नहीं, वह तो होगा लेकिन मुझे क्या करना है? दादी के समान तो बनना है ना, दादी ने इतनों को चलाके दिखाया, कितने वर्ष, एक दो वर्ष नहीं, चाहे बड़े चाहे छोटे, चाहे कर्मणा वाले, चाहे भाषण वाले, चाहे जोन वाले, चाहे दादियां, दादाओं को भी। निर्मोही बन गई ना, लास्ट में किसी को याद किया? किया? आप सामने खड़े थे, अगर किसको भी कोई स्मृति हो तो श्वांस प्रगट हो जाता है, अनुभव किया - जैसे शान्ति की देवी रही, सम भावना, श्रेष्ठ भावना, प्रत्यक्ष रूप दिखाया। ऐसे सांस किसका भी नहीं गया है जो सारे आसपास खड़े हैं और देख रहे हैं जा रहे हैं, जा रहे हैं, यह हिस्ट्री में पहला एक्जैम्पुल है। बापदादा तो दिल में रहा लेकिन साकार में सामने सब थे, ऐसी छुट्टी किसने भी नहीं ली है।

तो सुना, अभी क्या करना है? सुना। ध्यान से सुना। पीछे वालों ने सुना, अच्छा जो समझते हैं कुछ भी हो जायेगा, कितना भी सहन करना पड़ेगा, परिवर्तन होना ही है, वह हाथ उठाओ। अच्छा पक्का हाथ है या थोड़ा ऐसे ऐसे है, अन्दर का? देखेंगे, ट्रायल करेंगे, नहीं। कोशिश करेंगे, गे गे तो नहीं है ना? गे गे है, नहीं? बहुत अच्छा। दादी को आपका सन्देश दिया, दादी कहती है मैं खास आऊंगी, रूहरिहान करूंगी, बाकी आप सबका प्यार भावना, सब दादी के आगे ऐसा स्पष्ट है, जैसे सामने दिखाई दे रहा है। किसके मन की स्थिति भी रीयल क्या है, वह भी सभी का चक्कर लगाके नोट किया है। कहती थी कि मैं आकर सुनाऊंगी। कितना भी कोई छिपावे ना, वतन में छिप नहीं सकता है। वहाँ का यन्त्र रूहानी यन्त्र है। अच्छा।

चारों ओर के दादी के प्यार का प्रत्यक्ष स्वरूप दिखाने वाले, जैसे दादी ने फॉलो ब्रह्मा बाप साकार जीवन में फॉलोकरके दिखाया, ऐसे बाप और मुरब्बी बच्चे दादी को फॉलो कर प्रत्यक्षता का पर्दा प्रत्यक्षता का झण्डा लहराने केसाथी आत्माओं को, बापदादा देख रहे हैं, देश विदेश के बच्चे समान बनने के उमंग-उत्साह के प्लैन बना रहे हैं,वह दिन अब समीप लाना है, समय आने पर नहीं, समय को आपको समीप लाना है। तो ऐसे स्व-परिवर्तक, दृढ़संकल्पधारी चारों ओर के बच्चों को, चाहे देख रहे हैं या सामने हैं या नहीं हैं, लेकिन बापदादा और दादी चारों ओर के गीता पाठशालाओं के बच्चों को भी देख रहे हैं। तो सभी बाप के साथी, दादी के साथी, ब्राह्मण आत्माओं को बापदादा और दादी की तरफ से एक एक को नाम और विशेषता सम्पन्न यादप्यार और नमस्ते।

दादी आपके क्लास में आती रहती है, ऐसे नहीं, नहीं आती है। आपने जो समाधि बनाई है, उसमें भी चक्कर लगाती रहती है। लेकिन आपसे बहुत-बहुत रूहरिहान करने चाहती है इसलिए थोड़ा समय चाहिए। बाकी दादी के 12 दिन समाप्त हो रहे हैं, दादी को साकार वतन में विशेष न्यारा और प्यारा इसेन्शियल कार्य के लिए निमित्तमात्र पार्ट बजाना पड़ रहा है। लेकिन दादी का जन्म, कार्य अति न्यारा है, वह फिर आकर विस्तार सुनायेंगे। बापदादा को भी ड्रामा का नूंधा हुआ पार्ट बजाना पड़ता है, बजवाना पड़ता है। अलौकिकता क्या है, वह सुनायेंगे फिर। ठीक है। सभी पहली लाइन ठीक है, दादियां ठीक है? पाण्डव भी ठीक हैं? सब पाण्डव ठीक हैं ना। डबल फॉलो। तीन शब्द दादी के सदा याद करना - निमित्त, निर्मान और निर्मल वाणी। यह तीन शब्द हर घड़ी, हर कार्य आरम्भ करने के पहले, कार्य भले बदले लेकिन यह तीन शब्दों की स्मृति नहीं बदले, कैसा भी कठिन कार्य हो लेकिन यह तीन शब्द ऐसे समझना जैसे अभी बापदादा, दीदी, दादी तीन हैं ना, तो यह तीन शब्द भूलना नहीं, हर कार्य शुरू करने के पहले यह याद करना फिर कार्य शुरू करना। तो बहुत जल्दी दादी के समान, सहज समान बन जायेंगे। अच्छा - अभी क्या करना है?

(सभी दादियां बापदादा से मिल रही हैं, पहले निर्मलशान्ता दादी मिली फिर दूसरी दादियां) दादी शान्तामणि:- गैलप अच्छा किया, जो लक्ष्य रखा, वह प्रैक्टकिल में आ रहा है, इसकी मुबारक हो।

मनोहर दादी:- यज्ञ की आदि सहयोगी आत्मा हो। सहयोगी हूँ, सहयोगी रहूंगी, अण्डरलाइन क्योंकि दादियां तो श्रृंगार हैं तो आप एक दादी भी मिस नहीं होनी चाहिए। हाँ जी करो, ताकत आ जायेगी, हाँ जी करके देखना, करना ही है, कोई कितना भी रोके मुझे करना ही है। दादी की सखी है ना। तो दादी ने ना कभी नहीं किया, हर कार्य में हाँ जी, हाँ जी, हाँ जी किया। ऐसे ही करना। रतनमोहिनी दादी:- आप तो आलराउन्डर हैं, अभी दादियों को, सभी को अपना पार्ट विशेष संगठन के आगे दिखाना है। सबकी नज़र पाण्डव और दादियों के तरफ नेचुरल जाती है। हैं, कर रही हैं, करती रहेंगी। अच्छा है।

पाण्डव क्या करेंगे? तीनों ही आओ। (निर्वैर भाई, रमेश भाई, बृजमोहन भाई) आप तीनों को अभी क्या करना है? तीन शब्द विशेष दादी की विशेषता रही, छोटा बड़ा अपना मानता था, अपनेपन की भासना सबसे ज्यादा दादी ने दी है, यह दादियां हैं लेकिन दादी में यह विशेषता रही, तो आप लोगों का भी ऐसा कर्तव्य हो, ऐसा मिलन हो जो हर एक अनुभव करे यह अपने हैं, अपनापन महसूस करें, ड्युटी वाले नहीं। अपनापन जितना लाते हैं उतना, दादी को इतना प्यार का रेसपान्ड क्यों मिला? चाहे वी.आई. पी. चाहे कोई भी हो लेकिन अपनापन महसूस करता था, हमारी दादी है अभी भी देखो दादी माँ, दादी माँ.. कोई कहता नहीं है लेकिन जिगर से कहते हैं, तो यह है अपनेपन की अनुभूति कराने की रिजल्ट। तो जैसे दादियों की तरफ सबकी नज़र है, ऐसे विशेष निमित्त पाण्डवों की तरफ भी है। तो करना पड़ेगा। पड़ेगा ना। करना पड़ेगा ना? करना ही है। अभी हर एक की चाहे मीडिया वाले चाहे वी.आई. पी. चाहे साधारण जनता, सबने श्रधांजलि घर बैठे भी दी है, चाहे आये नहीं हैं लेकिन टी.वी. द्वारा सबने मैजॉरिटी ने देखा भी है और सहयोगी भी बने हैं श्रंधाजलि देने में, तो अब यह ईश्वरीय विश्व विद्यालय छिपा हुआ नहीं रहेगा, एक एक एक्टिविटी तरफ खुली नज़र हो गई है, उल्टे वाले उल्टा देखेंगे, सुल्टे वाले सुल्टा देखेंगे, लेकिन विशेष नज़र पड़ गई। तो उसी अनुसार आप सबको मिलकर सभी स्थानों के वायुमण्डल को पावरफुल बनाना होगा, क्योंकि दादी ने विश्व की नज़र में लाया है। एक - पहले जो प्रेजीडेंट बननी थी उसके कारण सबकी नज़र में आया और फिर दादी के कारण ज्यादा नज़र में आया तो सबकी नज़र अभी विशेष इस विद्यालय की तरफ है। इसलिए अण्डरलाइन। सुना।

मुन्नी बहन:- (बाबा दादी का क्वॉटेज सूना-सूना लगता है) अभी भी वहाँ सेवा का साधन बनाकर रखना। (हम किस बात का ध्यान रखें) जैसे दादी करती थी वैसे मुस्कराते शक्तिशाली नजर, रहमदिल भावना, सन्तुष्टता की भावना, सन्तुष्टता का सेव खिलाते रहना। खाली हाथ नहीं भेजना। (दादी की बहुत याद आती है) वह तो आयेगी ना, ऐसे कैसे होगा कि भूल जाए, कुछ दिन तो जरूर याद आयेगी साकार के हिसाब से, क्योंकि 24 घण्टा साथ रही हो। तो याद तो आयेगी। दादी मिलने आयेगी तारीख नहीं फिक्स किया है, आयेगी जरूर!

दादी जानकी:- (कल विदेश जा रही है) छुट्टी दी है लेकिन शार्ट कट, बना हुआ है ना। मोहिनी बहन:- (अभी हमें क्या करना है) दादी की भासना देना। दादी का ऐसा ही पार्ट है जब चाहेगी आ जायेगी, आपको भासना आयेगी। आप भी तो वतन की अनुभवी हो ना, भासना आयेगी आपको। बापदादा अच्छे ते अच्छा पार्ट बजवायेगा, सिर्फ यह तीन शब्द हर कर्म के पहले याद करना। सेवा करो, आलराउण्ड सेवा में बिजी रहो, यहाँ भी बिजी रहो, चारों ओर की सेवा में टाइम नहीं मिलता था, अभी टाइम दो, अच्छी सेवा होगी, फिकर नहीं करो, बाप साथ है।

(जिन्होंने दादी जी की सेवा की है वह सारा ग्रुप बापदादा के सामने है) बहुत अच्छा - कितना अच्छा ग्रुप है। देखो सभी ने ड्रामानुसार हर एक ने अपना अपना पार्ट बजाया। और सबने अच्छा पार्ट बजाया है लेकिन अभी स्वपरिवर्तन से वायुमण्डल परिवर्तन। आपमें बाप के लक्षण दिखाई दें। जैसे लौकिक में भी कई बच्चों में बाप के लक्षण, बाप जैसी शक्ल दिखाई देती है, तो आप हर एक में बाप के लक्षण दिखाई दें। लक्षण आने से क्या होगा, लक्ष्य स्पष्ट हो जायेगा। आजकल लक्ष्य ऊंचा रखते हैं लेकिन लक्षण नहीं होते, आप लक्षण द्वारा लक्ष्य को स्पष्ट करो क्योंकि सबकी नज़र लक्षण पर पड़ती है। तो जितना लक्षणधारी चलन होगी तो लक्ष्य आटोमेटिकली सिद्ध होगा - यह कौन हैं, क्या करने चाहते हैं। चलो कोई की भी बात हो जाए, बातें तो होंगी, माला है ना, नम्बरवार हैं ना, तो यह नहीं बोलो यह क्या करते हैं, यह क्यों होता है! नहीं। मुझे क्या करना है, मैं क्या मदद ऐसी हालत में कर सकता हूँ, नहीं कर सकते हो तो किनारा करो लेकिन उसमें बह नहीं जाओ, वायुमण्डल में। आप निमित्त आत्मायें ऐसी स्थिति में रहेंगी तो आटोमेटिकली वायुमण्डल बन जायेगा। मेहनत नहीं लगेगी सिर्फ अपने को करना बस, पक्का। ठीक है ना। शक्ति सेना कम थोड़ेही है। शक्तियां भी कम नहीं है। मुझे वायुमण्डल श्रेष्ठ बनाना है। कोई भी हल्की सी बात हो, रिपीट नहीं करो। एक को वर्णन करना, माना अनेकों के कानों में जाना। अन्तर्मुखी सदा सुखी। जैसे दादी ने रूहानी अपनापन दिया, शारीरिक नहीं, अपनापन का यह रिजल्ट है, एक उपराम, एक अपनापन। इशारा भी दिया लेकिन दिल में नहीं, जबान पर आया खत्म, दिल में नहीं रखा। ऐसे आप निमित्त हो, तो निमित्त को दादी को फॉलो करना बहुत जरूरी है। शक्ति तो सभी में नहीं है ना, नम्बरवार है ना, सहयोग दो, शक्ति दो, रहम करो, आत्मिक प्यार दो क्योंकि सबकी नज़र अभी देश विदेश की निमित्त आत्माओं पर है क्योंकि यह मीडिया ने चारों ओर स्पष्ट कर लिया है, अभी सबकी नज़र है। क्या हो रहा है, क्या हो रहा है, और ही ज्यादा सोचेंगे। क्या है, कैसा है, इसीलिए किले को मजबूत करना, आप निमित्त हो। चाहे थोड़ी आई हो लेकिन सुनेंगे तो सभी। फिर भी पहुंच गये | मुबारक है। एवररेडी तो हो गई ना। दादी के साथ आप लोगों ने भी एवररेडी का पाठ तो पढ़ लिया ना। तो ठीक है। सभी को समझना चाहिए मैं निमित्त हूँ, वायुमण्डल को पावरफुल बनाने के लिए मैं निमित्त हूँ, दूसरे नहीं, दूसरे तो नम्बरवार हैं आप तो निमित्त हो। बहुत अच्छा, ठीक है।

(दादी की सेवा करने वाली बहनों से) बहुत अच्छी सेवा की, (दादी बहुत याद आती है) याद तो आयेगी, बापदादा के वतन से जायेगी तो बापदादा को याद नहीं आयेगी, आयेगी। लेकिन सेवा है ना, जग की दादी है ना सिर्फ मधुबन की तो नहीं है ना। बाकी सभी ने सेवा प्यार से की और अभी भी समान बनने की सेवा करना। प्यार का रिटर्न यही होता है, अच्छा। पाण्डव भी सेवा में रहे। पाण्डवों ने भी सेवा अच्छी की। प्यार का स्वरूप दिखाया। सभी ने अपने अपने सेवा अनुसार अच्छा सहयोग दिया। अभी वायुमण्डल को पावरफुल बनाने की सेवा में ऐसे ही साथी बनना, जैसे दादी की सेवा में साथी रहे क्योंकि सबकी नज़र तो है ना, यह क्या करेंगे अभी। देखेंगे क्या करते हैं, सबकी नज़र तो है ना। तो आप ऐसा करके दिखाना जो वाह वाह के गीत बजने लगे। दादी का प्रत्यक्ष स्नेह आपकी चलन से दिखाई देगा। देगा, क्योंकि प्यार था ना। प्यार में तो सभी पास हो गये हैं। प्यार का सर्टीफिकेट तो बहुत अच्छा है। अच्छा।

बापदादा सभी से विदाई लेकर वतन में गये और दादी गुल्जार वतन से जब वापस आई तो वतन का दृश्य सुनाया:-

वैसे दादी की विदाई शाम को होनी है, इसलिए बाबा ने कहा मैं मिलकर आया हूँ, मैं भी दादी भी मिली, दादी ने कहा मुझे बाबा भेज रहा है लेकिन मैंने जो 12 दिन में अनुभव किया वह बहुत बहुत बढ़िया, अनुभव किया है और बहुत बातें जो वैसे न देखने वाली, जो नहीं देख सकती थी वह देखी है। यह सुनाया और कहा बाबा अभी भेज रहा है और मुझे यही है, मेरा संकल्प था कि मैं जन्म नहीं लूं लेकिन बाबा ने मुझे रहस्य समझाया है, इसलिए मैं खुशी से जा रही हूँ। हम लोगों को भी था कि दादी को बाबा ऐसे कैसे भेज रहा है। तो दादी ने कहा मैं बाबा के राज़ को समझ गई हूँ इसलिए मैं खुशी से जा रही हूँ। दूसरी बात - दादी ने कहा फिर शाम को विदाई होगी वह देखकर फिर सबको सुनाना। बाकी मेरे तरफ से सभी को एक एक को कहना आपको नाम सहित दादी ने याद दी है। याद के साथ प्यार तो होता ही है। विदाई का सन्देश फिर सुनायेंगे।

अच्छा - ओम् शान्ति।